उलझन

 उलझन
बहुत रोने को दिल चाह रहा आज
आंसू दे रहे मेरा साथ ,है दिल में मेरे अजीब सा एहसास
किसी को नहीं पा रही हूँ अपने पास !!
दिल में है बहुत बड़ी उलझन, महसूस हो रहा है अकेलापन
कोई होता जिसको मै अपनी उलझन बताती
दर्द अपना बताकर मन को थोड़ा हल्का कर पाती !!
सुना है खुशी के साथ गम भी होते है
लोग अपने गमो के साथ भी जी लेते हैं !!
पर में कैसे इस उलझन को भूलू, कैसे इस गम के साथ जी लू
अब ये बात तो मेरे दिल में ही रह जाएगी, ये उलझन दूर हो नहीं हो पाएगी
जिंदगी तो कैसे कैसे मोड़ पर ले आयेगी, पर मेरी जिंदगी हर मोड़ से गुजर जाएगी !!
रचना- कुसुम असवाल रावत